गणेश जी की कथा

Ganesh ji ki katha

एक बार एक बुढ़िया थी। वह बहुत ही गरीब और आंखों से अंधी थी l उस बुढ़िया का एक बेटा और बहू थे l वह बुढ़िया सदैव भगवान गणेश जी की पूजा किया करती थी l

एक दिन गणेश जी ने उसकी पूजा से प्रसन्न हो प्रकट होकर उस बुढ़िया से बोले-
हे बुढ़िया मां! तू जो चाहिए वो मांग ले l
बुढ़िया मां बोली- मुझे तो मांगना ही नहीं आता l मैं कैसे और क्या मांगू ?
तब गणेशजी ने कहा – अपने बेटे-बहू से पूछकर मांग ले l

तब बुढ़िया ने घर जाकर अपने बेटे से कहा- गणेश जी कहते है तू कुछ मांग ले बता मैं क्या मांगू ?
बेटे ने कहा- मां! तू धन मांग ले l
बहू से पूछा तो बहू ने कहा- नाती मांग ले l
तब बुढ़िया ने सोचा कि ये दोनों तो अपने-अपने मतलब की बात कह रहे हैं l अत: उस बुढ़िया ने पड़ोसियों से पूछा, तो उन्होंने कहा- अरे बुढ़िया! तू तो थोड़े दिन ही जिएगी, क्यों तो तू धन मांगे और क्यों ही नाती मांगे। तू तो अपनी इन आंखों की रोशनी मांग ले, जिससे तेरी बाकी बची जिंदगी आराम से कट जाए l

इस पर बुढ़िया ने गणेशजी से कहा- यदि आप मुझ पर प्रसन्न है और मुझे कुछ देना चाहते है, तो मुझे नौ करोड़ की माया दे, निरोगी काया दे, अमर सुहाग दे, आंखों की रोशनी दे, नाती दे, पोता दे, और मेरे परिवार को सुख दे और अंत में मुझे मोक्ष दे l

यह सुनकर तब गणेशजी बोले- हे बुढ़िया मां! तूने तो मुझे ठग लिया l फिर भी जो भी तूने मुझसे मांगा है, अपने वचन के अनुसार तुझे सब कुछ मिलेगा, और यह कह कर गणेश जी अंतर्ध्यान हो गए l उधर बुढ़िया मां ने जो भी कुछ मांगा वह सब कुछ उनको मिल गया l


हे गणेश जी महाराज! जैसे तुमने उस बुढ़िया मां को सब कुछ दिया, वैसे ही सबको देना, और हम सब के सभी कष्ट दूर करना l
बोलो गणनायक गजानन गणेश जी महाराज की जय l

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

one × 4 =

Scroll to Top