ब्रज गोपियों से ना निंदिया चुराना | braj gopiyon se na nindiya churana lyrics
गोपी विरह गीत :
ब्रज गोपियों से ना निंदिया चुराना ।
ब्रज गोपियों से ना निंदिया चुराना ।
ब्रज गोपियों का है प्रेम पुराना ।।
आज से सूनीं गलियाँ राहें ।
पनघट पे भरना है आहें ।।
छोड़के हमको ना तुम जाना ।।
ब्रज गोपियों से……..
मैया बाबा को ना छोड़ो ।
प्रेम के रिश्तों को ना तोड़ो ।।
याद करो वो माखन चुराना ।।
ब्रज गोपियों…….
कुंज-निकुंज का मिलना सपना ।
कैसे कहें कान्हा था अपना ।।
कान्त विरह में है आँसू बहाना ।।
ब्रज गोपियों से…….
भजन रचना : दासानुदास श्रीकान्त दास जी महाराज ।
स्वर:आलोक जी ।