गणेश विसर्जन कथा, पूजा और मुहूर्त

ganesh visarjan katha

गणेश चतुर्थी पुरे भारत वर्ष में मनाया जाने वाला हिन्दू धर्म का एक महत्वपूर्ण त्योहार है, जो भगवान श्री गणेश जी की पूजा के लिए मनाया जाता है। इस दिन गणेशजी की पूजा की जाती है और श्रद्धालु उन्हें अपने घरों में स्थापित करते हैं। गणेशजी को विघ्नहर्ता, गजानन, बुद्धि, समृद्धि और सौभाग्य के देवता मानते हैं। अनंत चतुर्दशी के दिन गणेश चतुर्थी के समापन पर, जब गणेशजी का मूर्ति को जल में विसर्जित किया जाता है, तो इसे गणेश विसर्जन या गणेश उत्सव का समापन कहा जाता है।

गणेश विसर्जन की कथा

एक बार की बात है की, भगवान गणेश अपने माता-पिता, भगवान शिव और माता पार्वती के साथ स्वर्ग में विचरण कर रहे थे। पृथ्वी पर लोगों की समस्याओं को देखकर माता पार्वती ने भगवान गणेश से कहा कि वे धरती पर जाकर वहाँ के लोगों को दर्शन दें और उनकी समस्याओं को हल करें। तब गणेशजी ने स्वर्ग से पृथ्वी पर आने का निर्णय लिया ताकि वो लोगो की समस्याओं को हल कर सके | धरती पर आकर, गणेशजी ने लोगों के बीच एक मूर्ति के रूप में खुद को स्थापित किया। लोगों ने गणेशजी की पूजा की और उन्हें सुख, समृद्धि और बौद्धिकता का आशीर्वाद प्राप्त हुआ। गणेशजी ने पृथ्वीवासियों की समस्याओं को दूर किया और उनके जीवन में खुशहाली और समृद्धि लाई और उनके सब कष्ट दूर किये |

उपरोक्त कथा के अनुसार, गणेश विसर्जन का दिन वह समय होता है जब गणेशजी को उनके निवास स्थान स्वर्ग वापस भेजा जाता है। विसर्जन के दौरान, भक्तगण गणेशजी की मूर्ति को एक पूजा के बाद जल में विसर्जित करते हैं। इस प्रक्रिया के माध्यम से वे गणेशजी को धन्यवाद अर्पित करते हैं और उनकी उपस्थिति का आभार व्यक्त करते हैं।

गणेश विसर्जन पूजा:

गणेश विसर्जन पूजा का मुख्य उद्देश्य गणेशजी की प्रतिमा को उनके निवास स्थान पर विदाई देना होता है। यह पूजा भक्तो के द्वारा पूरी श्रद्धा और भक्ति के साथ की जाती है और इसमें कुछ विशेष विधियाँ होती हैं। यहाँ गणेश विसर्जन पूजा की विधि का वर्णन किया जा रहा है:

स्थल की तैयारी:
गणेशजी की मूर्ति का विसर्जन करने से पहले, स्थान की सफाई करें। इसमें एक चौकी पर गणेशजी की मूर्ति रखी जाती है।

गणेशजी की पूजा:

गणेशजी की मूर्ति को स्नान कराएँ और उन्हें नए-नए वस्त्र पहनाएँ। उन्हें फूल, फल, मिठाई और वस्त्र समर्पित करें l

गणेशजी के समक्ष धूप और दीपक लगाएँ और “ॐ गण गणपतये नमः” मंत्रों का उच्चारण करें।

गणेशजी की आरती करें और उन्हें मिठाई, नारियल, और फल अर्पित करें। आरती उपरांत प्रसाद सभी उपस्थित लोगों में बाँट दें।

गणेशजी के विर्सजन का मुहूर्त

दिनांक 17/09/2024, अनंत चतुर्दशी के दिन गणेशजी की मूर्ति का विसर्जन किया जाएगा। इसके लिए पूरे दिन में 2 मुहूर्त है।

प्रातः 09:30 से दोपहर 02:00 बजे तक

दोपहर 03:35 से शाम 05:00 बजे तक

ग्रंथो एवम मान्यताओं के अनुसार सूर्य अस्त होने के पश्चात मूर्ति विसर्जन नहीं किया जाता है।

विसर्जन की प्रक्रिया:

पूजा के अंत में, गणेशजी की मूर्ति को जहाँ विसर्जन करना है, वहा ले जाए ।

विसर्जन स्थल पर, गणेश जी की मूर्ति को पानी में विसर्जित करें और उसके साथ “गणपति बप्पा मोरया, अगली बार जल्दी आना” गाएँ। इससे गणेशजी की वापसी का इंतजार रहता है और वे अगले वर्ष पुनः आएँगे।

गणेशजी की उत्पत्ति की कथा:

गणेशजी, भगवान शिव और माता पार्वती के पुत्र हैं। माता पार्वती एक दिन स्नान कर रही थी, स्नान के दौरान उन्होंने अपनी त्वचा को साफ करने के लिए एक उबटन तैयार किया। इस उबटन से माता पार्वती ने एक बालक का निर्माण किया। इस बालक का नाम माता पार्वती ने गणेश रखा। गणेशजी को माता पार्वती ने अपने घर के द्वार की सुरक्षा के लिए नियुक्त किया ताकि उनके स्नान करने के दौरान कोई भी अंदर न आ सके । थोड़ी देर बाद भगवान शिव, माता पार्वती से मिलने के लिए घर आए, लेकिन गणेशजी ने उन्हें द्वार पर ही पहरा देते हुए अंदर जाने से रोक दिया। भगवान शिव अन्दर न जाने से परेशान हो गए और गणेशजी से नाराज हो गए और नाराज होकर भगवान शिव ने गणेशजी का सिर काट दिया। जब माता पार्वती को इस घटना का पता लगा तो वे अत्यंत दुखी हुईं और भगवान शिव से प्रार्थना की कि गणेशजी को पुनः जीवित किया जाए। भगवान शिव ने गणेशजी को पुनर्जीवित करने का आश्वासन दिया और एक हाथी का सिर गणेशजी के शरीर पर लगा दिया। इस प्रकार गणेशजी पुनः जीवित हो गए और उन्हें “गणपति” के नाम से पुकारा गया।

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