कान्हा ले चल हमें उस पार जहां विराजे राधा रानी
जहां विराजे श्यामा प्यारी अलबेली सरकार
ओ कान्हा ले चल हमें उसे पार
कान्हा ले चल हमें उसे पार……
सूझती अब कोई राह नहीं है
जग कि मुझे परवाह नहीं है
सूझती अब कोई राह नहीं
तेरे बिन कोई चाह नहीं है
और बची कोई राह नहीं है
मेरे प्रियतम मेरे मोहन
मेरे प्रियतम मेरे मोहन
कर दो बेड़ा पार
ओ कान्हा ले चल हमें उसे पार……
गुण अवगुण सब तेरे अर्पण
पाप पुण्य सब तेरे अर्पण
गुण अवगुण सब तेरे अर्पण
पाप पुण्य सब तेरे अर्पण
बुद्धि सहित मन तेरे अर्पण
ये जीवन मन तेरे अर्पण
मैं तेरे चरणों की दासी
मेरे प्राण आधार
ओ कान्हा ले चल उसे पार…..