कौन लंका जला पाता | kon lanka jala pata lyrics
दोहा
देख के सागर की लहरों को,वानर सब घबराये।
कैसे होगा पार ये सागर, मन ही मन सकुचाये।।
जामवंत ने बजरंगी से जाकर करी गुहार
सिवा तुम्हारे कौन ये सागर कर पायेगा पार
कौन लंका जला पाता,अगर हनुमान न होते।
पता न सीता का लग पाता अगर हनुमान न होते।।
लाँघक़र के समंदर को, पहुँचे लंका के वो अंदर
देख़ हनुमान की ताकत, काँप उठ्ठा था दशकँधर
कौन सूरज निकल पता, अगर हनुमान ना होते
आ के शक्ति लगी ऐसी, मूर्छा खा गए लक्ष्मण
संजीवन बूटी लाने को, गए वो दौड़ के ततक्षण
कौन पर्वत उठा पाता, अगर हनुमान न होते
राम का नाम लेकर के, जो इनके पास जाते हैं
उनके जीवन की तकलीफें, ये पल भर में मिटाते हैं
कौन संकट मिटा पाता, अगर हनुमान न होते.
Singer: Vikash Sharma