नवरात्रि के आठवें दिन को माँ महागौरी की पूजा के रूप में मनाया जाता है। माँ महागौरी को साक्षात सौंदर्य और शुद्धता का स्वरूप माना जाता है, माँ का ये रूप बहुत ही ज्यादा शांत, मधुर और दिव्य प्रतीत होता है। माँ महागौरी की आराधना और पूजा करने से मनुष्य के सभी पाप और कष्ट हमेशा के लिए समाप्त हो जाते हैं, और मनुष्य को अपने जीवन में सुख, शांति एवं समृद्धि की प्राप्ति होती है।
माँ महागौरी का स्वरूप:
जैसा की नाम से ही प्रतीत होता है माँ महागौरी का वर्ण गौर है मतलब यह पूरी तरह से श्वेत और उज्जवल रूप लिए हुए है, माँ के सभी वस्त्र एवं आभूषण भी श्वेत है। माँ महागौरी के चार भुजाए होती हैं। माँ महागौरी ने अपने एक हाथ में त्रिशूल धारण कर रखा हैं और दूसरे हाथ में डमरू विराजित है। उनके अन्य दो हाथों में से एक हाथ अभय मुद्रा में और दूसरा हाथ वर मुद्रा में होता हैं। उनका वाहन वृषभ यानि की बैल है। माँ महागौरी का श्वेत रंग उनके पवित्र और निर्मल स्वरूप को प्रदशित करता है।
माँ महागौरी की कथा:
पुराणों में बताई गयी कथा के अनुसार, माँ पार्वती भगवान शिव को पति के रूप में प्राप्त करना चाहती थी, इसके लिए माँ ने बहुत कठोर तपस्या की। उन्होंने लगातार कई वर्षों तक केवल वृक्ष एवं हवा के ऊपर निर्भर रहते हुए तपस्या की। उनकी इस अति कठिन तपस्या के कारण उनके शरीर का रंग काला पड़ गया था। उनकी इस कठिन तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने प्रकट होकर उन्हें दर्शन दिए और उनके वर्ण को गौर कांतिमय बना दिया। इस प्रकार माँ पार्वती महागौरी के नाम से प्रसिद्ध हो गई।
माँ महागौरी की पूजा याचना करने से मनुष्य के सभी पाप नष्ट हो जाते हैं और उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है। माँ की कृपा उनके भक्तों पर हमेशा बनी रहती है, उनकी कृपा से मनुष्य के जीवन में सभी प्रकार के दुखों दूर हो जाते है और शांति, सुख, की प्राप्ति होती है।
माँ महागौरी की पूजा विधि:
नवरात्रि के आठवें दिन माँ महागौरी की पूजा की जाती है। माँ महागौरी की पूजा करने के लिए प्रात: ब्रम्हमुहूर्त में उठकर स्नान कर साफ एवं पवित्र वस्त्र पहने। इसके बाद पूजा करने के स्थान की सफाई शुद्ध जल के द्वारा करें। फिर एक चौकी या आसन को स्थापित कर उस पर सफेद कपड़ा बिछाएँ और उस पर माँ महागौरी की मूर्ति या चित्र विराजमान करें। साथ में एक कलश जल भरकर रखे और उस पर आम के पत्ते और नारियल रखें।
माँ महागौरी का पुरे मन से ध्यान करते हुए उनकी प्रार्थना करें, माँ महागौरी को सफेद फूल चढ़ाये, माँ को सफेद रंग अत्यंत प्रिय है, इसके लिए सफेद वस्त्र, सफेद मिठाइयाँ और सफेद फूल को ही अर्पित करें।
माँ महागौरी की आरती करें और प्रसाद में सफेद रंग की मिठाई जैसे की नारियल के लड्डू या गाय के दूध से बनी हुई मिठाई अर्पित करें।
माँ महागौरी का मंत्र जाप:
माँ महागौरी की पूजा में कुछ विशेष मंत्रों का उच्चारण किया जाता है। इन मंत्रों के जाप से मन को शांति और सकारात्मक ऊर्जा प्राप्त होती है।
ध्यान मंत्र:
श्वेते वृषे समारूढा श्वेताम्बरधरा शुचिः।
महागौरी शुभं दद्यान्महादेवप्रमोददा॥
बीज मंत्र:
ॐ ऐं ह्रीं क्लीं महागौर्यै नमः॥
स्तोत्र मंत्र:
या देवी सर्वभूतेषु माँ महागौरी रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥
माँ महागौरी कन्या की पूजा:
नवरात्रि के आठवें दिन कन्या को पूजने का बहुत ज्यादा महत्व होता है। इस दिन 9 कन्याओं को देवी के नौ रूपों के रूप में घर पर आमंत्रित किया जाता है एवं इन कन्याओं को घर में बनाया हुआ भोजन कराया जाता है और उन्हें वस्त्र, श्रृंगार सामग्री और उपहार दिए जाते हैं।
इस दिन नौ कन्याओं के साथ-साथ एक लड़के को भी भोजन कराया जाता है।
सर्वप्रथम सभी कन्याओं के पैरों को धोकर उन्हें पूजा के स्थान पर बैठने के लिये आसन दें।
इसके बाद उन्हें हलवा, पूरी और चने का घर का बनाया हुआ भोग अर्पित करें।
सभी नौ कन्याओं के माथे पर तिलक लगाएं और उनके चरण स्पर्श करके आशीर्वाद लें।
अंत में सभी कन्याओं को उपहार के रूप में वस्त्र, श्रृंगार सामग्री दे और आदर सहित विदा करें।
माँ महागौरी का महत्व:
माँ महागौरी भक्तों के जीवन में शांति, पवित्रता और शुद्धता के रूप में पूजी जाती हैं। उनकी पूजा याचना करने से जीवन में सभी प्रकार के कष्ट और दुखों का अंत होता है और जीवन में सभी प्रकार की सुख-समृद्धि, शांति और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
उनकी कृपा से घर-परिवार में खुशहाली बनी रहती है। माँ महागौरी की कृपा से मनुष्य के शारीरिक और मानसिक रोगों का नाश होता है और उनकी पूजा से भक्तों को स्वास्थ्य और दीर्घायु की प्राप्ति होती है। माना जाता है की माँ की पूजा करने से विवाह में आने वाली हर तरह की अड़चनों का निवारण होता है और शीघ्र ही विवाह संपन्न होता है।
इस दिन कन्या पूजन का विशेष महत्व है, जिससे भक्त माँ की कृपा और आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं।