महाशिवरात्रि व्रत कथा (Mahashivratri Vrat Katha)

bholeshankar
महाशिवरात्रि व्रत कथा | Mahashivratri Vrat Katha

महाशिवरात्रि का पर्व हिंदुओं का एक महत्वपूर्ण पर्व है जो कि भगवान शिव को समर्पित है l इस पर्व को कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाया जाता है l शिवरात्रि वाले दिन भक्त उपवास रखते हैं l इस दिन भक्तों के द्वारा शिवलिंग के ऊपर जल, दूध, शहद, घी पंचामृत बनाकर चढ़ाया जाता है और रात्रि को जागरण किया जाता हैl

महाशिवरात्रि की पौराणिक कथा इस प्रकार है:

प्राचीन समय में एक शिकारी था, जिसका नाम गुरुद्रुह था। वह जंगल में पशुओं का शिकार कर के अपने परिवार का पालन-पोषण करता था। एक बार वह शिकार करने जंगल में गया उस दिन शिवरात्रि का दिन था l उस दिन पूरे दिन उसे कोई शिकार नहीं मिला। भूख तथा प्यास से परेशान होकर एक तालाब के किनारे बेल वृक्ष पर चढ़कर बैठ गया। शिकार का इंतजार करते-करते उसने नीचे एक छोटे जलाशय को देखा, जहाँ पर एक शिवलिंग था। शिकारी को इस बात के बारे में पता नहीं था l वह बेलपत्र के पत्तों को तोड़कर अनजाने में शिवलिंग पर गिरा रहा था उसकी आँखों से अश्रु टपक रहे थे l

रात भर जागरण करते हुए उसने अनेकों बार बेलपत्र गिराए, जिससे अनजाने में ही उसने महाशिवरात्रि का उपवास तथा रात्रि का जागरण कर लिया। अंतःमें, प्रातः होते ही एक हिरणी पानी पीने के लिए तालाब के समीप आई। शिकारी ने जैसे ही धनुष चलाना चाहा हिरणी ने कहा, “मैं गर्भवती हूँ, मेरे बच्चे का जन्म हो जाने दो, फिर मैं आ जाऊँगी।” फिर शिकारी ने उसे छोड़ दिया।

कुछ समय बाद दूसरी हिरणी आई, जिसे पकड़ने के लिए शिकारी तैयार हुआ, लेकिन उसने भी कहा, “मुझे अपने परिवार से आखरी बार मिल ने दो, फिर मैं अवश्य लौट आऊँगी।” शिकारी ने उस को भी छोड़ दिया। इस प्रकार सारी रात व्रत, जागरण, तथा शिव पूजा करते हुए व्यतीत हो गई।

सुबह होते ही शिकारी को शिवजी की कृपा प्राप्त हुई तथा उसकी दयालुपन के कारण उसका हृदय परिवर्तन हो गया। शिकारी ने शिकार करना छोड़ दिया तथा भगवान शिव की भक्ति में लीन हो गया। इस पुण्य के कारण उस को मोक्ष प्राप्त हुआ।

महाशिवरात्रि का महत्व है:

यह पौराणिक कथा हमें ये सिखाती है कि महाशिवरात्रि के दिन उपवास, जागरण तथा शिवजी का पूजन करने से अनजाने में भी पुण्य की प्राप्ति होती है। महाशिवरात्रि वाले दिन सच्चे हृदय से भगवान शिव की आराधना करने से सभी पापों का नाश होता है तथा मोक्ष की प्राप्ति होती है।

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