नवरात्रि का पर्व नौ दिनों तक माता दुर्गा की आराधना का पर्व है। इन दिनों में माँ दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है। नवरात्रि को भारतीय संस्कृति में प्रमुख महत्व प्राप्त है तथा इसे श्रद्धा व भक्तिभाव से मनाया जाता है। नवरात्रि की नौ दिनों में माता के नौ रूपों की पूजा बहुत धूमधाम से की जाती है l
प्रथम दिन शैलपुत्री पूजा:
नवरात्रि का पहला दिन माता शैलपुत्री का होता है। शैल का अर्थ होता है पर्वत तथा शैलपुत्री का अर्थ होता है पर्वतराज हिमालय की पुत्रीl माँ शैलपुत्री की पूजा से मनुष्य के जीवन में स्थिरता और शक्ति की प्राप्ति होती है। ऐसा बताया जाता है कि इस दिन मां को घी का भोग लगता है तथा सफेद वस्त्र पहन कर उनकी पूजा की जाती है।
द्वितीय दिन ब्रह्मचारिणी पूजा:
दूसरे दिन माँ ब्रह्मचारिणी की पूजा की जाती है। यह दिन देवी की तपस्या का प्रतीक है इस देवी को साधना व संयम की देवी माना जाता हैं। इस दिन को भक्तों द्वारा माँ को चीनी तथा गुड़ का भोग लगाया जाता हैंl
तृतीय दिन चंद्रघंटा पूजा:
तृतीय दिन माँ चंद्रघंटा की पूजा की होती है। इन मां का स्वरूप शांति तथा शक्ति का होता है। माता के शीश पर अर्धचंद्र होता है, इसीलिए इन्हें चंद्रघंटा के नाम से जाता है। इस दिन मां की पूजा करने से जीवन में खुशहाली तथा साहस की बढ़ोतरी होती है। मां को दूध से बनी मिठाई का भोग लगता हैl इस दिन लाल रंग के वस्त्र धारण करके पूजा करनी चाहिए l
चतुर्थ दिन कूष्माण्डा पूजा:
चतुर्थ दिन को मां कूष्माण्डा की पूजा होती है। इन माता को सृष्टि की रचनाकार कहा जाता है। इनकी आराधना करने आयु , यश तथा बल की बढ़ोतरी होती है। इस दिन भक्तों द्वारा मां को मालपुए का भोग लगाया जाता हैं तथा इस दिन पीले वस्त्र धारण कर पूजा करनी चाहिएl
पंचम दिन स्कंदमाता पूजा:
पंचम दिन मां स्कंदमाता की पूजा होती है। ये माता भगवान कार्तिकेय की माता हैं तथा ये अपने भक्तों को सुख-समृद्धि का आशीर्वाद प्रदान करती हैं। इनकी पूजा करने से घर में सुख-शांति का आगमन होता है। इस दिन मां को केले का भोग समर्पित किया जाता है तथा इस दिन हरे रंग के वस्त्र धारण कर पूजा करनी चाहिएl
छठे दिन कात्यायनी पूजा:
छठे दिन को मां कात्यायनी की पूजा आराधना की जाती हैl मां दुर्गा का यह रूप एक योद्धा का रूप है तथा मां दुष्टों का संहार करने वाली हैं। कात्यायनी मां की पूजा अर्चना करने से हर प्रकार के रोग तथा शत्रु का नाश होता हैं। मां को इस दिन शहद का भोग लगता है तथा इस दिन गुलाबी वस्त्र पहनकर मां की पूजा की जाती हैl
सप्तम दिन कालरात्रि पूजा:
सप्तम दिन मां कालरात्रि की पूजा आराधना की जातीहैl ये रूप मां का बहुत उग्र रूप है तथा इस रूप की पूजा करने से सभी प्रकार कि नकारात्मक शक्तियों का नाश होता हैlइन मां की पूजा करने से भय तथा बुराईयों से छुटकारा मिलता है l मां को गुड़ का भोग लगता है l इस दिन नीले या काले वस्त्र पहनकर मां की पूजा करनी चाहिए l
अष्टम दिन महागौरी पूजा:
अष्टम दिन मां महागौरी की पूजा अर्चना की जाती है l महागौरी मां का रूप अत्यंत श्वेत और सौम्य है। इनकी पूजा अर्चना करने से सभी प्रकार की मनोकामनाएं पूरी होती हैं। मां को नारियल का भोग लगाया जाता है तथा इस दिन श्वेत वस्त्र पहनकर मां की पूजा की जाती हैl अष्टमी के दिन कन्याओं का पूजन भी कि जाती है तथा कन्याओ को भोजन करवाया जाता है।
नवम दिन सिद्धिदात्री पूजा:
नवरात्रि के नवम दिवस मां सिद्धिदात्री की पूजा अर्चना की जाती है l देवी का यह रूप सभी प्रकार की सिद्धियों को देने वाला हैl इन मां की पूजा अर्चना करने से ज्ञान तथा आध्यात्मिक उन्नति होती है। मां को इस दिन तिल का भोग लगाया जाता है तथा इस दिन बैंगनी रंग के वस्त्र धारण कर पूजा अर्चना की जाती हैl
नवरात्रि पूजन करने की की विधि:
नवरात्रि के दिनों में प्रातः काल स्नान कर साफ वस्त्र पहनना चाहिए। तत्पश्चात पूजा के स्थान को गंगाजल से शुद्ध कर माँ दुर्गा की मूर्ति या कोई तस्वीर स्थापित करें l दुर्गा माँ के सामने दीपक प्रज्वलित करें तथा फूल, चावल , रोली, मौली आदि से मां का पूजन करें। मां को नौ दिनों तक अलग-अलग प्रकार की मिष्ठान का भोग लगाए l मां के सामने बैठकर दुर्गा सप्तशती का पाठ करेंl नवरात्रों में व्रत रखने का प्रमुख महत्व बताया जाता है।
कन्या पूजन इस प्रकार कर सकते हैं:
अष्टमी या नवमी के दिन कन्या पूजन का प्रमुख महत्व है। इस दिन नो कन्याओं को मां के नौ रूपों का प्रतीक मानकर बुलाया जाता हैl उन कन्याओं को श्रद्धा के साथ भोजन कराया जाता है तथा भेट के रूप में वस्त्र आभूषण दिए जाते हैं l इस परंपरा से यह प्रतीत होता है कि कन्याओं में मां दुर्गा का स्वरूप होता हैl