सोमवती अमावस्या का हिंदू धर्म में बहुत महत्व है। ये अमावस्या उस दिन होती है जब अमावस्या के दिन सोमवार का दिन होता है। इस दिन को पितरों कि शांति ,सुख-समृद्धि तथा कल्याण के लिए शुभ माना जाता है। पौष माह की सोमवती अमावस्या के दिन गंगा स्नान, व्रत, दान, तथा विशेष पूजन का विधान है। ऐसा बताया जाता है कि इस कथा में पितृ ऋण से मुक्ति तथा परिवार की खुशहाली के लिए किए गए तप व व्रत का उल्लेख मिलता है।
सोमवती अमावस्या की पौराणिक कथा:
एक गरीब ब्राह्मण परिवार था उस परिवार में पति-पत्नी के अलावा एक पुत्री भी रहती थी l वह कन्या बड़ी सुंदर, गुणी तथा धार्मिक स्वभाव की थी। कन्या की उम्र विवाह के योग्य हो गई थी परंतु उसका विवाह नहीं हो पा रहा था l इस कारण उसके माता-पिता बहुत अधिक चिंता करते रहते थे l
कई उपायों तथा यज्ञों के पश्चात भी जब कन्या का विवाह तय नहीं हो पा रहा था, तब ब्राह्मण ने एक संत से सलाह लेने की सोची। तब संत ने ध्यान लगाकर कहा, तुम्हारी कन्या का विवाह रुकने का एक कारण उसके भाग्य में दोष है। अगर तुम उसे सोमवती अमावस्या के दिन व्रत करने तथा गंगा स्नान करवाने के साथ पीपल के वृक्ष की 108 बार परिक्रमा करने को कहो तब विवाह का योग हो सकता है l
ब्राह्मण ने संत की सलाह के अनुसार अपनी कन्या से यह सब करने को कहा l कन्या ने सोमवती अमावस्या का व्रत रखा, गंगा स्नान किया तथा पीपल के वृक्ष की परिक्रमा की। इस व्रत को करने से उसके जीवन के सभी दोष दूर हो गए तथा जल्दी ही एक योग्य वर के साथ उसका विवाह हो गया।
पितृ दोष की कथा इस प्रकार है:
एक निर्धन ब्राह्मण था, उसके परिवार में एक पुत्र तथा उसकी विधवा मां रहते थे। पुत्र अपनी मां के लिए बड़ी मेहनत करता था l परन्तु उनके जीवन में सदैव कष्ट तथा परेशानियां होती ही रहती थी I
एक ऋषि एक दिन उनके घर आए। ऋषि ने उन्हें बताया कि तुम्हारे जीवन के होने वाले कष्टों का कारण पितृ दोष है। अगर तुम सोमवती अमावस्या के दिन व्रत रखकर पीपल के वृक्ष का पूजन तथा परिक्रमा करोगे और इसके साथ ही ब्राह्मणों को भोजन करवाकर दान दोगे, तब तुम्हारे पित्तर प्रसन्न होंगे तथा तुम्हारे जीवन में होने वाले कष्ट अवश्य दूर होंगे l
पुत्र और उसकी मां ने ऋषि की कहे अनुसार सब वैसा ही किया l उन्होंने सोमवती अमावस्या का व्रत रखा, गंगा स्नान किया तथा विधि के अनुसार पूजन किया। इसके बाद से ही उनके जीवन में सुख-समृद्धि हो गई l
सोमवती अमावस्या व्रत का विद्यान इस प्रकार है:
गंगा स्नान: सोमवती अमावस्या के दिन गंगा, यमुना या किसी भी पवित्र नदी में स्नान करना बहुत पुण्यदायी बताया जाता है। अगर नदी तक ना जा पाए तो घर पर स्नान के जल में गंगा जल मिलाकर स्नान किया जा सकता है।
सोमवती अमावस्या के व्रत में विष्णु भगवान तथा शिवजी का पूजन करना चाहिए।
सोमवती अमावस्या के दिन पीपल के वृक्ष का पूजन करना चाहिए l पीपल के वृक्ष की जड़ में जल चढ़ाना चाहिए l धूप दीप जलाकर पीपल की परिक्रमा करनी चाहिए तथा ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नमः मंत्र का जाप अवश्य करना चाहिए l
सोमवती अमावस्या के दिन ब्राह्मणों को दान देना, भोजन करवाना, तथा वस्त्र दान करना अत्यंत शुभ बताया जाता है l