राधा अष्टमी व्रत कथा लिरिक्स

Radha ashtami

राधा अष्टमी के व्रत के बारे में बताया जाता है कि ,यह व्रत श्री कृष्ण जन्माष्टमी के बाद आता है भक्तों द्वारा इस दिन को राधा रानी के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है। ऐसा बताया जाता है कि राधा अष्टमी का पर्व कृष्ण जन्माष्टमी के 15 दिन के बाद मनाया जाता है ।  इस व्रत को करने से राधा और कृष्ण का आशीर्वाद प्राप्त होता है। राधा अष्टमी का व्रत केवल आध्यात्मिक शक्ति ही नहीं देता बल्कि इसके पीछे छिपा है माता रानी का अनंत आशीर्वाद का भंडार ।राधा रानी की पूजा के बिना भगवान श्री कृष्ण की पूजा अधूरी मानी जाती है इसीलिए राधा अष्टमी का महत्व कृष्ण जन्माष्टमी के समान ही माना जाता है ।

राधा अष्टमी की व्रत कथा:-

राधा रानी की जन्म से जुड़ी एक पौराणिक कथा के अनुसार बताया जाता है , कि एक दिन वृषभानु जी को एक तालाब में कमल के फूलों के बीच एक नन्हीं कन्या लेटी हुई मिली ।वो उस छोटी बच्ची को वहां अकेला नहीं छोड़ना चाहते थे इसीलिए ,उसे लेकर अपने घर आ गए ।राधा जी को तो घर ले आए लेकिन वह अपनी आंखें नहीं खोल रही थी माना जाता है कि राधा जी  जन्म के बाद सबसे पहले कृष्ण जी को देखना चाहती थी ,इसीलिए दूसरों के लाख कोशिशें के बावजूद भी उन्होंने तब तक आंखें नहीं खोली जब तक बाल्यावस्था में उनकी मुलाकात कृष्ण जी से नहीं हुई ।जब राधा रानी ने पहली बार कृष्ण जी को देखा तभी उन्होंने अपनी आंखें खोली ।

कथा के अनुसार यह भी बताया जाता है कि, वृषभानु जी जिन्हें राधा रानी के पिता के रूप में माना जाता है यज्ञ के लिए भूमि साफ कर रहे थे इस दौरान धरती के कोख से उन्हें राधा रानी बच्ची के रूप में प्राप्त हुई जिस प्रकार द्वापर युग में भगवान विष्णु ने कृष्ण अवतार लिया था उसी प्रकार लक्ष्मी माता ने राधा रानी के रूप में जन्म लिया था ।राधा कृष्ण प्रेम की कहानी से हम सभी परिचित हैं जहां एक तरफ  कृष्ण को शरीर माना जाता है ,वहीं दूसरी तरफ राधा जी को उनकी आत्मा कहा जाता हैं । जिस दिन राधा रानी वृषभानु जी को मिली उस दिन अष्टमी तिथि थी इसीलिए राधा रानी का जन्म राधाअष्टमी के रूप में मनाया जाता है ।राधा अष्टमी के दिन राधा के साथ-साथ कृष्ण जी की पूजा भी की जाती है ।


Radha Ashtami Fast

It is said about the Radha Ashtami fast that, this fast comes after Shri Krishna Janmashtami. This day is celebrated by the devotees as the birth anniversary of Radha Rani. It is said that the festival of Radha Ashtami is celebrated 15 days after Krishna Janmashtami. By observing this fast, one gets the blessings of Radha and Krishna. The fast of Radha Ashtami not only gives spiritual power, but hidden behind it is the treasure of infinite blessings of Mata Rani. The worship of Lord Shri Krishna is considered incomplete without the worship of Radha Rani, that is why the importance of Radha Ashtami is considered equal to that of Krishna Janmashtami.

Radha Ashtami Fast Story:-

According to a mythological story related to Radha Rani’s birth, it is said that one day Vrishbhanu found a little girl lying in a pond among lotus flowers. He did not want to leave the little girl alone there, so he brought her home. Radha was brought home but she was not opening her eyes. It is believed that Radha wanted to see Krishna first after her birth, so despite the efforts of others, she did not open her eyes until she met Krishna in her childhood. Radha Rani opened her eyes only when she saw Krishna for the first time.

According to the legend, it is also told that, Vrishbhanu Ji, who is considered as the father of Radha Rani, was clearing the land for the yagya, during which he received Radha Rani in the form of a girl from the womb of the earth, just as Lord Vishnu had taken the incarnation of Krishna in Dvapar Yuga, similarly Lakshmi Mata took birth as Radha Rani. We all are familiar with the story of Radha Krishna love, where on one hand Krishna is considered as the body, on the other hand Radha Ji is called his soul. The day Radha Rani met Vrishbhanu Ji, it was Ashtami Tithi, therefore, Radha Rani’s birth is celebrated as Radha Ashtami. On the day of Radha Ashtami, Krishna Ji is also worshipped along with Radha.

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