सरस किशोरी (Saras Kishori Lyrics)

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सरस किशोरी | Saras Kishori Lyrics

सरस किशोरी, वयस की थोरी, रति रस भोरी, कीजै कृपा की कोर।
श्री राधे, कीजै कृपा की कोर।
(हे प्रेमरस से युक्त किशोरी जी! हे किशोर अवस्था वाली राधिके! हे प्रेमरस में सराबोर वृषभानुदुलारी! मेरे ऊपर भी कृपा की दृष्टि करो।)

साधन-हीन, दीन मैं राधे, तुम करुणामयी प्रेम अगाधे,
काके द्वारे, जाय पुकारे, कौन निहारे, दीन दुःखी की ओर।
(हे किशोरी जी! मैं समस्त साधनों से रहित एवं अकिंचन हूँ और तुम अगाध- प्रेम वाली अकारण-करुण हो फिर हम तुम्हें छोड़कर किसके यहाँ अपना दुःख सुनाने जायें? यदि जायें भी तो मुझ सरीखे अधम की ओर कौन देखेगा?)

करत अघन नहीं नेक उघाऊँ, भजन करन में ना मन को लगाऊँ,
करी बरजोरी, लखि निज ओरि, तुम बिनु मोरी, कौन सुधारे दोर।
(हे किशोरी जी! निरन्तर पापों को करते हुए मेरा पेट कभी नहीं भरता एवं शूकर की भाँति सदा भटकता हुआ विषय रूपी विष्ठा को ही खोजा करता हूँ।हे किशोरी जी! तुम्हारे बिना दूसरा कौन है जो अपनी अकारण कृपा से बरबस मेरी बिगड़ी बना दे।)

भलो बुरो जैसो हूँ तिहारो, तुम बिनु कोउ न हितु हमारो,
भानुदुलारी, सुधि लो हमारी, शरण तिहारी, हौं पतितन सिरमोर।
(हे वृषभानुनंदिनी! मैं भला-बुरा जैसा भी हूँ तुम्हारा ही तो हूँ। तुम्हारे बिना मेरा हितैषी दूसरा है ही कौन?
हे भानुदुलारी! यद्यपि हम पतितों के सरदार हैं फिर भी अब तुम्हारी शरण में आ गये हैं। हमारे ऊपर कृपा करो।)

गोपी-प्रेम की भिक्षा दीजै, कैसेहुँ मोहिं अपनी करि लीजै,
तव गुन गावत, दिवस बितावत, हृदय भर आवत, बहवे प्रेम विभोर।
(हे रासेश्वरी! मुझे किसी प्रकार भी गोपी-प्रेम की भीख देकर अपनी बना लो
जिससे मैं तुम्हारे प्रेम में पागल होकर, तुम्हारे गुणों को गाते हुए एवं आँखों से आँसू बहाते हुए अपना जीवन व्यतीत करूँ।)

पाय तिहारो प्रेम किशोरी, छके प्रेमरस ब्रज की खोरी,
गति गजगामिनि, छवि अभिरामिनी, लखि निज स्वामिनी, बने ‘कृपालु’ चकोर।
(सुन्दरता से भी अधिक सुन्दर, मतवाले हाथी के समान चाल वाली अपनी स्वामिनी को देखकर ‘श्री कृपालु जी’ कहते हैं कि मेरी आँखें कब चकोर के समान रूपमाधुरी का पान करेंगी?)

Singers: Shyam Bihari Das (Shivam Chaurasia),Jay Shree Devi Dasi (Yashi Parihar)

Saras Kishori Lyrics

Saras Kishori, vayas ki thori, rati ras bhori, keeje kripa ki kor.
Shri Radhe, keeje kripa ki kor.

Saadhan-heen, deen main Radhe, tum karunamayi prem agaadhe,
Kaake dwaare, jaay pukaare, kaun nihaare, deen dukhi ki or.

Karat aghan nahin nek ughaaoon, bhajan karan mein naa man ko lagaaoon,
Kari barjori, lakh nij ori, tum binu mori, kaun sudhaare dor.

Bhalo buro jaiso hoon tiharo, tum binu kou na hitu hamaaro,
Bhanu-dulaari, sudhi lo hamaari, sharan tihari, haun patitan siramore.

Gopi prem ki bhiksha deejai, kaisehu mohi apni kari leejai,
Tav gun gaavat, divas bitaavat, hriday bhar aavat, bahave prem vibhor.

Paay tiharo prem Kishori, chakke premras Braj ki khori,
Gati gajgaamini, chhavi abhiramini, lakh nij swaamini, bane ‘Kripalu’ chakor.

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