तेरे दर पे आ गई हूँ मुश्किल है उठ के जाना लिरिक्स | Tere Dar Pe Aa Gai Hu Mushkil Hai Uth Ke Jana Lyrics
तेरे दर पे आ गई हूँ
मुश्किल है उठ के जाना
दुनिया है मुझको भूली
कहीं तुम ना भूल जाना
तेरे दर पे आ गयी हूँ
मुश्किल है उठ के जाना
मीरा का विष का प्याला
अमृत बना दिया था
अब मेरी बारी आई
करते हो क्यों बहाना
तेरे दर पे आ गयी हूँ
मुश्किल है उठ के जाना
पुकारा था द्रोपदी ने
तुम आए दौड़े दौड़े
अब मैं बुला रही हूँ
तुमको पड़ेगा आना
तेरे दर पे आ गयी हूँ
मुश्किल है उठ के जाना
तेरे दर पे आ गई हूँ
मुश्किल है उठ के जाना
दुनिया है मुझको भूली
कहीं तुम ना भूल जाना
तेरे दर पे आ गयी हूँ
मुश्किल है उठ के जाना
स्वर: रसिक संत बाबा श्री चित्र विचित्र बिहारी दास जी महाराज