भोले मोहे ले चल हरि के द्वार
ओ भोले मोहे ले चल हरि के द्वार
जहां विराजे गौरा रानी
जहां विराजे गौरा रानी गणपत की सरकार
ओ भोले मोहे ले चल हरि के द्वार……
शीश भोले के जटा विराजे
जटा विराजे भोले जटा विराजे
उनकी जटा में बहती रहती
निर्मल गंगा धार
ओ भोले मोहे ले चल हरि के द्वार……
गले भोले के मुंडो की माला
मुंडो की माला भोले मुंडो की माला
उनके गले में लिपटा रहता
विषधर काला नाग
ओ भोले मोहे ले चल हरि के द्वार……
हाथ भोले के डमरु सोहे
डमरू सोहे भोले डमरू सोहे
उनका डमरू बजता रहता
बजता चारो धाम
ओ भोले मोहे ले चल हरि के द्वार……
पांव भोले के खड़ाऊ साजे
खड़ाऊ साजे भोले खड़ाऊ विराजे
उनके पैरो में बजती रहती
घुंघरू की झंकार
ओ भोले मोहे ले चल हरि के द्वार……
संग भोले के नंदी सोहे, बाएं अंग में गौरा सोहे
उनकी गोद में बैठे रहते
गजानंद सरकार
ओ भोले मोहे ले चल हरि के द्वार……
भोले के दर गुरु मंडली आई
ढोलक, छैना साथ में लाई
उनकी ढोलक बजती रहती
बजती दे दे ताल
ओ भोले मोहे ले चल हरि के द्वार……
भोले मोहे ले चल हरि के द्वार
ओ भोले मोहे ले चल हरि के द्वार
जहां विराजे गौरा रानी
जहां विराजे गौरा रानी गणपत की सरकार
ओ भोले मोहे ले चल हरि के द्वार……