हे दयामय आप ही संसार के आधार हो भजन लिरिक्स

He Dayamay Aap Hi Sansaar Ke

हे दयामय आप ही संसार के आधार हो।
आपही करतार हो हम सब के पालन हार हो ॥

जन्मदाता आप ही माता पिता भगवान् हो।
सर्व सुखदाता सखा भ्राता हो तन धन प्राण हो ।

आपके उपकार का हम ऋण चुका सकते नहीं।
बिनु कृपा के शांति सुख का सार पा सकते नहीं ॥

दीजिये वह मति बनें हम सद्‌गुणी संसार में।
मन हो ‘मंजुल’ धर्ममय और तन लगे उपकार में ॥

सो सम दीन न दीन हित, तुम समान रघुबीर।
अस विचारी रघुवंश मणि, हरहु विषम भवपीर ॥

बार-बार वर मागहूँ हरषि देहु, श्रीरंग ।
पद सरोज अनपायनी, भक्ति सदा सत्संग ॥

अर्थ न धर्म न कामरूचि, गति न चाहाँ निर्वान।
जन्म-जन्म रति रामपद, यह वरदान न आन ॥

स्वामी मोहि न विसारियो, लाख लोग मिलि जाँहि।
हमसे तुमको बहुत हैं, तुमसे हमको नाहि ॥

नहि विद्या नहिं बाहुबल, नहिं खर्चन को दाम।
मोसे पतित अपंग की, तुम पति राखहूँ राम ॥

श्रवन सुयश सुनि आयहूँ, प्रभु भंजन भवपीर ।
त्राहि-त्राहि आरति हरण, शरण सुखद रघुवीर ॥

कामिहि नारि पियारी जिमि, लोभिहिं प्रभु जिमि दाम।
तिमि रघुनाथ निरंतर प्रिय लागहु मोहि राम ॥


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