मां दुर्गा के नौ रूपों में दूसरा ब्रह्मचारिणी मां का रूप है l ब्रह्मचारिणी मां की पूजा नवरात्रि के दूसरे दिन कि जाती है। ब्रह्मचारिणी मां का नाम उनके ब्रह्मचर्य के कठिन तप के कारण हुआ था । मां ब्रह्मचारिणी ने अपने पिछले जन्म मे शिवजी को पति रूप में पाने के लिए कठोर तपस्या की थी l मां अपने इस रूप से अपने भक्तों को तप, धैर्य, तथा संयम के बारे में बताती हैl हम माँ ब्रह्मचारिणी की कथा, मंत्र और पूजा करने की विधि इस प्रकार है l
ब्रह्मचारिणी मां की कथा इस प्रकार है:
ब्रह्मचारिणी मां का नाम ब्रह्मचारिणी इसलिए पड़ा क्योंकि मां ने शिवजी को पाने के लिए कठिन तप किया था lपार्वती के रूप में उनका जन्म हिमालय के राजा हिमावन तथा रानी मैना के घर पे हुआ था। मां ने बचपन में ही नारद मुनि से शिवजी को पति रूप में पाने के बारे में पूछा तथा सुनकर उन्होंने कठिन तपस्या शुरू कर दी l
ब्रह्मचारिणी मां ने लगभग हजारों वर्षों तक कठोर तप किया l इस समय में उन्होंने सिर्फ फल तथा कंद-मूल ही खाऐ। उन्होंने इन वर्षों में केवल बिल्व पत्र खाकर तथा बिना अन्न तथा जल लिए कठोर तपस्या कीlमां के इस कठोर तप के कारण तीनों लोकों में हाहाकार हो गया तथा देवताओं द्वारा ब्रह्मा जी से विनती की गईl ये सब देखकर ब्रह्मा जी प्रकट हुए और उन्होंने ब्रह्मचारिणी मां को आशीर्वाद दिय lउन्होंने कहा कि तुम्हारा तप सफल हुआ है और तुम्हें शिवजी पति के रूप में मिलेंगे l
ब्रह्मचारिणी मां का स्वरूप:
ब्रह्मचारिणी मां का स्वरूप बहुत शांत तथा सौम्य होता हैंl मां के एक हाथ में जप की माला और दूसरे हाथ में कमंडल होता हैl उनका ये स्वरूप भक्तगणों को संयम, तप तथा त्याग के बारे में बतलाता है l मां अपने इस रूप में सफेद वस्त्र धारण करती हैं जोकि पवित्रता तथा सादगी का प्रतीक माना जाता हैI
ब्रह्मचारिणी मां के मंत्र इस प्रकार है:
वन्दे वाञ्छितलाभाय चन्द्रार्घकृतशेखराम्।
जपमाला कमण्डलु धरा ब्रह्मचारिणी शुभाम्॥
धवलाप्रसादाभाम अक्षमालांकित कराम्।
ब्रह्मचारिणी शुभाम्॥
बीज मंत्र:
ॐ देवी ब्रह्मचारिण्यै नमः॥
स्तुति मंत्र:
तपश्चारिणी त्वं हि तपस्या के प्रतीक।
शिवलाभाय कौशल्या माता भव सुखप्रदायिनी॥
ऐसा बताया जाता है इन मंत्रों का जाप करने से ब्रह्मचारिणी मां की पूर्ण कृपा की प्राप्ति होती है तथा भक्त के जीवन में संयम ,शांति तथा आध्यात्मिकता की प्रगति होती हैI
ब्रह्मचारिणी मां की पूजा करने की विधि इस प्रकार है:
नवरात्रि के द्वितीय दिन ब्रह्मचारिणी मां की पूजा अर्चना प्रमुख रूप से की जाती है। मां की पूजा करने की विधि बिल्कुल सरल होती हैI उनकी पूजा अर्चना शुद्धता और भक्ति से करना चाहिए I
इसके लिए प्रातः ब्रम्ह मुहूर्त में उठकर स्नान करके साफ वस्त्र पहनने चाहिए। पूजा करने वाले स्थान को स्वच्छ करके दुर्गा मां की प्रतिमा को स्थापित करना चाहिएI मां के सामने श्वेत या लाल आसन बिछाकर बैठेI पूजा के स्थान पर एक तांबे या पीतल के कलश की स्थापना करें। कलश में पानी, सुपारी, सिक्का, हल्दी, कुमकुम तथा चावल डालें। इस कलश को ब्रह्मचारिणी मां का रूप दिया जाता हैI तत्पश्चात घी या तिल के तेल का दीप जलाना होता है I इसके बाद दोनों हाथों को जोड़कर मंत्र उच्चारण करते हुए पूजा अर्चना के साथ मां का आह्वान करना चाहिएI मां को ताजी व शुद्ध पुष्प अर्पित करें I
पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद, और शक्कर) से माँ को स्नान कराएं और उन्हें नैवेद्य अर्पित करें। नैवेद्य में मिठाई, फल, और नारियल इत्यादि अपनी इच्छानुसार शामिल कर सकते हैं। इसके बाद माँ ब्रह्मचारिणी के मंत्रों का जप करें।
“ॐ देवी ब्रह्मचारिण्यै नमः” मंत्र का 108 बार जाप करने से विशेष फल प्राप्त होता है।
माँ ब्रह्मचारिणी की आरती करें और आरती करने के बाद माता के प्रसाद को सभी भक्तजनों में बाँट दे। अंत में माँ ब्रह्मचारिणी से क्षमा याचना करें और अपने द्वारा भूल वश किए गए किसी भी भूल-चूक के लिए क्षमा मांगे और उनसे अपना आशीर्वाद सदा बनाये रखने की प्रार्थना करें।
माँ ब्रह्मचारिणी की पूजा का महत्व:
माँ ब्रह्मचारिणी की पूजा से भक्तों को आत्म-संयम, तप और सहन शीलता की शक्ति प्राप्त होती है। माँ ब्रह्मचारिणी की कृपा से मन में सात्विक और धार्मिक गुणों का संचार होता है और जीवन में आने वाली सभी प्रकार की चुनौतियों का सामना करने की शक्ति मिलती है। नवरात्रि के दूसरे दिन माँ ब्रह्मचारिणी की पूजा करने से भक्तों को शारीरिक और मानसिक शांति मिलती है
और उनकी उपासना से जीवन में आने वाले संकट और कठिनाइयों को पार करने की शक्ति मिलती है।