वो मस्तानी शाम फिर आई है | Wo Mastani Sham Fir Aayi Hai Lyrics
वो मस्तानी शाम फिर आई है
साँवरिये को साथ ये लाई है
वो मस्तानी शाम फिर आई है
हर साल आंगन में, मेला सा लगता है
हम आ गये हो खाटू, हमें ऐसा लगता है
मंदिर से खाटू की, खुशबू सी आती है
मिलने की तड़प तुमसे, बढ़ती ही जाती है
फाल्गुन से पहले क्यूं, मेला नहीं आता
वो मस्तानी शाम फिर आई है
साँवरिये को साथ, ये लाई है
जब सांवरा अपने, भक्तो को याद आये
भक्तो के बिन एक पल, ये रह नही पाये
जब भक्त रोते है, इन्हें दर्द होता है
भक्तो का ये सच्चा, हमदर्द होता है
नीले पे चढ़कर के, ये दौड़ा आया है
वो मस्तानी शाम फिर आई है
साँवरिये को साथ ये लाई है
तेरे दरबार में आकर, श्याम मेरा वक्त गुजर जाता है
सुनता हूँ तेरे दर पे, बुरे से बुरा सुधर जाता है
कर्मो को मेरे तुमने, सुधारा ना होता
तो दुनिया में मेरा, गुजारा ना होता
मुझे श्याम तेरा सहारा ना होता
तो दुनिया में मेरा गुजारा ना होता
वो मस्तानी शाम फिर आई है
साँवरिये को साथ ये लाई है
हम फूल है बाबा, तेरी फुलवारी है
ये जानते है हम, तुझे लगती प्यारी है
तेरी ही कृपा से, हर फूल महकता है
इस बाग का हर एक, पंछी चहकता है
यूँ ही महकाए रखना, अपनी फुलवारी को
वो मस्तानी शाम फिर आई है
साँवरिये को साथ ये लाई है
वो मस्तानी शाम फिर आई है
गायक: संजू शर्मा जी