दीपावली का पर्व हिंदू धर्म का प्रमुख त्योहार है, यह त्यौहार कार्तिक माह की अमावस्या को पूरे देश में हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। दीपावली का अर्थ है दीपों का त्यौहार, इस दिन सभी लोग अपने घरों में दीप जलाते हैं और मां लक्ष्मी व भगवान गणेश की पूजा करते हैं। यह पर्व सुख-समृद्धि, धन-वैभव और खुशियों का प्रतीक माना जाता है।
दीपावली की कथा:
श्रीराम की अयोध्या वापसी की कथा के अनुसार त्रेता युग में अयोध्या के राजा दशरथ के चार पुत्र थे—राम, लक्ष्मण, भरत, और शत्रुघ्न। श्रीराम, माता कौशल्या के पुत्र थे और वे राजा दशरथ के सबसे प्रिय पुत्र भी थे। श्रीराम अपनी पत्नी सीता और भाई लक्ष्मण के साथ वनवास गए थे, और यह कथा उनके चौदह वर्षों के वनवास के बाद अयोध्या लौटने की है।
जब महाराज दशरथ अपने ज्येष्ठ पुत्र श्रीराम को अयोध्या का राजा बनाने का निर्णय लेते हैं तो इस बात से पूरे अयोध्या नगर में हर्षोउल्लास छा जाता है, लेकिन माता कैकेयी की दासी मंथरा को यह बात पसंद नहीं आती है और वह कैकेयी को बताती है कि यदि श्रीराम राजा बनते हैं, तो कैकेयी का पुत्र भरत और वह राज्य से वंचित रह जाएंगे। मंथरा की इन बातों में आकर कैकेयी क्रोधित होकर महाराज दशरथ से अपने दो वरदान मांगती हैं—पहला वरदान कि उनके पुत्र भरत को अयोध्या का राजा बनाकर राज्याभिषेक किया जाए, और दूसरा वरदान कि श्रीराम को चौदह वर्षों के लिए वनवास भेजा जाए। अपने दिए हुए वचन के कारण राजा दशरथ राम को वनवास देने के लिए विवश हो जाते हैं।
श्रीराम पिताजी की आज्ञा का पालन करते हुए वनवास पर जाने का निर्णय लेते हैं। उनके साथ उनकी पत्नी सीता और भाई लक्ष्मण भी वनवास में साथ जाने का संकल्प लेते हैं। श्रीराम ने वन में रहते हुए कई राक्षसों का वध किया और लोगों की रक्षा की।
वनवास के दौरान, लंका के राक्षस राजा रावण ने माता सीता का अपहरण कर लिया। श्रीराम ने वानरराज सुग्रीव और उनके मित्र हनुमान के सहयोग से लंका पर चढ़ाई की और रावण का वध कर सीता को मुक्त कराया। इस प्रकार रावण के अत्याचारों से धरती के प्राणियों को मुक्त कर, धर्म की पुनर्स्थापना करते हुए श्रीराम अयोध्या लौटे।
उनके लौटने की खबर पाकर अयोध्यावासी अत्यंत उत्साहित हो उठे। कार्तिक माह की अमावस्या की रात थी, लेकिन अयोध्या के हर घर और हर मार्ग को दीपों से रोशन कर दिया गया। उस दिन पूरे अयोध्या नगर को दीपों से सजाया गया, और हर घर में खुशी का माहौल था। अयोध्या के लोग अपने प्रिय राजा का स्वागत करने के लिए लालायित हो रहे थे। अयोध्यावासियों ने श्रीराम, सीता और लक्ष्मण के स्वागत में जगह-जगह दीप जलाए और नगर को फूलों से सजाया ताकि पूरा नगर जगमगाने लगे। यही कारण है कि दीपावली का पर्व श्रीराम की अयोध्या वापसी की स्मृति में मनाया जाता है। श्रीराम का राज्याभिषेक हुआ और अयोध्या में एक आदर्श रामराज्य की स्थापना हुई। रामराज्य में लोग सुखी, समृद्ध और संतुष्ट थे। सभी धर्म और नीति का पालन करते हुए मिलजुल कर रहते थे।
दीपावली पूजन विधि:
दीपावली के दिन विधिपूर्वक पूजन करने से माता लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं और धन, वैभव और सुख-समृद्धि का आशीर्वाद देती हैं। दीपावली पूजन विधि इस प्रकार है:
पूजन के दिन घर की सफाई का विशेष महत्व है। घर के मुख्य द्वार, आंगन और पूजा स्थल को अच्छे से साफ करें और वहां रंगोली बनाएं। माना जाता है कि मां लक्ष्मी साफ-सुथरे स्थान में ही वास करती हैं।
पूजन के स्थान पर एक कलश स्थापित करें। उसमें पानी भरें और उसमें गंगाजल, सिक्का, सुपारी, दूर्वा, तुलसी और अक्षत डाले और उसके ऊपर आम के पत्ते रखें। कलश के ऊपर नारियल रखकर उसे फूलों से सजाएं।
पूजन के लिए एक चौकी पर लाल या पीले रंग का कपड़ा बिछाएं। उस पर मां लक्ष्मी और भगवान गणेश की मूर्ति या चित्र स्थापित करें।
पूजा के लिए चंदन, रोली, हल्दी, चावल, गुलाब या मोगरे की माला, दीपक, धूप, कपूर, पंचामृत, मिठाई, फूल आदि की व्यवस्था करें।
पूजन के बाद मां लक्ष्मी और भगवान गणेश की आरती करें। सभी परिजनों के साथ मिलकर आरती करें और प्रसाद बांटें।
दीपावली पूजन मंत्र:
पूजन के दौरान मंत्रोच्चारण करने से पूजन का महत्व और बढ़ जाता है। यहां कुछ मुख्य मंत्र दिए गए हैं जो पूजन के समय बोले जा सकते हैं:
गणेश जी का ध्यान मंत्र:
वक्रतुंड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ।
निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा॥
मां लक्ष्मी का ध्यान मंत्र:
या सा पद्मासनस्था विपुलकटितटी पद्मपत्रायताक्षी।
गम्भीरा वर्तनाभिः स्थनभर नमिता शुभ्रवस्त्रोत्तरीया॥
या लक्ष्मीर्दिव्यरूपैरुपनिज युगला या हरिभ्रमयंती।
सा मां श्री: संतु।
लक्ष्मी पूजन मंत्र:
ॐ नमो भगवते वासुदेवाय धन्वंतराये अमृतकलश हस्ताय सर्व भय विनाशाय।
सर्व रोग निवारणाय त्रिलोकपथाय श्री महाविष्णुस्वरूपाय श्री धन्वंतरि स्वरूपाय नमः।
पूजन के बाद दीप जलाकर घर के प्रत्येक स्थान पर रखें। घर के मुख्य द्वार पर दो बड़े दीपक जलाएं, जो पूरी रात जलते रहें। मान्यता है कि इन दीपों से नकारात्मक ऊर्जा समाप्त होती है और सकारात्मक ऊर्जा का वास होता है। पूजा समाप्ति के बाद परिवार के सभी सदस्यों में प्रसाद वितरित करें और एक-दूसरे को दीपावली की शुभकामनाएं दें।
दीपावली के दिन मां लक्ष्मी के पूजन से घर में सुख-शांति और धन-वैभव का आगमन होता है। इस दिन विधिपूर्वक पूजन करने से घर में किसी प्रकार की दरिद्रता नहीं आती और मां लक्ष्मी का आशीर्वाद बना रहता है।