नवरात्रि पांचवा दिन माँ स्कंदमाता कथा, मंत्र एवं पूजन विधि

maa skandmata

देवी दुर्गा के नौ रूपों में पांचवां रूप मां स्कंदमाता का होता है मां की पूजा नवरात्रि के पांचवें दिन होती है। माता का नाम स्कंदमाता उनके पुत्र के नाम स्कंद के कारण हुआ l स्कंद को भगवान कार्तिकेय के नाम से भी जाना जाता है l स्कंदमाता का ये स्वरूप प्रमुख रूप से मातृत्व तथा करुणा से भरा होता है। उनकी पूजा अर्चना से भक्तों को ज्ञान, शांति तथा सुख और समृद्धि प्राप्त होती है।

स्कंदमाता की कथा इस प्रकार है:

स्कंदमाता की कथा मे ये पता चलता है कि वे अपने पुत्र भगवान कार्तिकेय के साथ विराजमान होती हैं। स्कंदमाता का ये रूप देवताओं और भक्तों के प्रति उनके मातृत्व प्रेम को बताता हैl कथा मैं बताया गया है कि स्कंद भगवान को देवताओं के सेनापति रूप में नियुक्त किया गया तथा उन्होंने तारकासुर जैसे दानवों को हराया था l जब ब्रह्मांड में असुरों का आतंक बढ़ गया तथा वो तीनों लोकों में उपदर्व मचाने लगे l ऐसा देखकर सब देवता शिवजी के पास गए तथा उनसे सहायता मांगने लगे। शिव जी तथा पार्वती मां के पुत्र कार्तिकेय ने तारकासुर को मार गिराया तथा देवताओं को छुटकारा दिलाया l

स्कंदमाता का ये रूप बहुत ही शांत, सौम्य तथा करुणामयी है। मां अपने भक्तों की समस्त मनोकामनाओं को पूर्ण करती है तथा भक्तों को आशीर्वाद देती है l मां की कृपा से भक्तों के जीवन में सुख, शांति तथा समृद्धि आती है l

स्कंदमाता का स्वरूप:

स्कंदमाता का स्वरूप बहुत ही शांत, सौम्य तथा दिव्य होता है l वो कमल के आसन पर विराजती हैं, इसी कारण मां को पद्मासना कहते हैंI मां के चार हाथ होते हैं दो हाथों में मां कमल का फूल तथा एक हाथ में मां अपने पुत्र स्कंद को गोद में लिए हुए तथा चौथे हाथ से भक्तों को आशीर्वाद देते हुए प्रतीत होती हैं l मां का वाहन शेर है जोकि शक्ति और साहस का प्रतीक माना जाता है। मां का रूप श्वेत आभा से परिपूर्ण है जो मां को अत्यधिक दिव्य तथा प्रकाशमय दिखलाता हैI

स्कंदमाता के मंत्र:

स्कंदमाता की पूजा अर्चना में इन मंत्रों का जाप करने से अधिक फल प्राप्त होता है

ध्यान मंत्र:
बीज मंत्र:
स्तोत्र मंत्र:

मां के इन मंत्रों का जाप करने से स्कंदमाता की कृपा की प्राप्ति होती है तथा भक्त के जीवन में सुख, शांति, तथा समृद्धि का आगमन होता है l स्कंदमाता की पूजा अर्चना नवरात्रि के पांचवें दिन होती है l इस दिन मां की पूजा विधिपूर्वक करने से दुगुने फल की प्राप्ति होती है तथा मां का आशीर्वाद मिलता हैl

मां की पूजन विधि इस प्रकार है:

प्रातः स्नान करके स्वच्छ कपड़े पहने तथा पूजा वाले स्थान को साफ सुथरा करके उसमें मां दुर्गा की तस्वीर को स्थापित उनके सामने आसन बेचकर बैठे आसान सफेद या पीले कपड़े का होना चाहिएl पूरे मन से मां का ध्यान लगाए l मां की पूजन में कलश पूजा के स्थान पर पर एक तांबे या पीतल के कलश को रखें l कलश के अंदर जल, सुपारी, सिक्का, हल्दी, कुमकुम तथा अक्षत मिलाऐ। इस पानी से भरे कलश को मां के रूप में स्थापित करेl मां के सामने दीप जलाएं दीपक घी या तिल के तेल का हो ये दीपक स्कंदमाता के प्रति श्रद्धा तथा आस्था का रूप है। स्कंदमाता का आह्वान दोनों हाथों को जोड़कर स्कंदमाता का आह्वान करना चाहिए तथा मां को पूजा मैं आने की प्रार्थना करनी चाहिए I मां का ध्यान करते हुए मंत्रों का उच्चारण करना चाहिए I मां को ताजे फूल तथा अक्षत समर्पित करेंI फूलों में प्रमुख रूप से मां को सफेद व पीले फूल अत्यधिक प्रिय है I मां के समक्ष धूप तथा अगरबत्ती करें I इससे पूजा में पवित्रता आती है I पंचामृत दूध, दही, घी, शहद, तथा शक्कर पंचामृत से मां को स्नान कराए तथा मां को नैवेद्य समर्पित करें। मिठाई फल तथा नारियल नैवेद्य में दे I

जप तथा स्तुति इस प्रकार है:

“ॐ देवी स्कन्दमातायै नमः” मंत्र का 108 बार जाप करने से दुगुने फल की प्राप्ति होती है I स्कंदमाता की आरती करें स्कंदमाता की आरती करते समय घंटी बजाऐ तथा मां की स्तुति करते हुए मां को रिझाना चाहिए I आरती करने के पश्चात सभी भक्तों में प्रसाद को बांट दें I मां से अंत में अपने द्वारा पूजा अर्चना में कि गई किसी भी प्रकार की भूल-चूक के लिए क्षमा याचना करनी चाहिए तथा उनसे आशीर्वाद के लिए विनती करनी चाहिए I

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