श्री खाटू श्याम चालीसा

shree khatu shyam chalisa

II दोहा II

श्री गुरु चरणन ध्यान धर, सुमिरि सच्चिदानंद I
श्याम चालीसा भणत हूँ, रच चौपाई छन्द II

II चौपाई II

श्याम श्याम भजि बारंबारा I सहज ही हो भवसागर पारा II
इन सम देव न दूजा कोई I दीन दयालु न दाता होई II

भीम सुपुत्र अहिलावती जाया I कही भीम का पौत्र कहाया II
यह सब कथा सही कल्पांतर I तनिक न मानो इसमे अंतर II

बर्बरीक विष्णु अवतारा I भक्तन हेतु मनुज तन धारा II
वासुदेव देवकी प्यारे I जशुमति मैया नन्द दुलारे II

मधुसूदन गोपाल मुरारी I वृजकिशोर गोवर्धन धारी II
सियाराम श्री हरि गोविन्दा I दीनपाल श्री बाल मुकुन्दा II

दामोदर रणछोड़ बिहारी I नाथ द्वारकाधीश खरारी II
नरहरि रुप प्रहलाद प्यारा I खम्बा फाड़ हिरणाकुश मारा II

राधावल्लभ रुक्मिणी कंता I गोपीवल्लभ कंस हनंता II
मनमोहन चित्तचोर कहाये I माखन चोरि चोरि कर खाये II

मुरलीधर यदुपति घनश्यामा I कृष्ण पतित पावन अभिरामा II
मायापति लक्ष्मीपति ईशा I पुरुषोत्तम केशव जगदीशा II

विश्वपति त्रिभुवन उजियारा I दीनबन्धु भक्तन रखवारा II
प्रभु का भेद कोई न पाया I शेष महेश थके मुनियारा II

नारद शारद ऋषि योगिंदर I श्याम श्याम सब रटत निरंतर II
कवि कोविद करि सके ना गिनन्ता I नाम अपार अथाह अनन्ता II

हर सृष्टि हर युग में भाई I ले अवतार भक्त सुखदाई II
हृदय माहि करि देखु विचारा I श्याम भजे तो हो निस्तारा II

कीर पढ़ावत गणिका तारी I भीलनी की भक्ति बलिहारी II
सती अहिल्या गौतम नारी I भई श्रापवश शिला दुखारी II

श्याम चरण रच नित लाई I पहुँची पति लोक में जाई II
अजामिल अरू सदन कसाई I नाम प्रताप परम गति पाई II

जाके श्याम नाम अधारा I सुख लहहि दु:ख दूर हो सारा II
श्याम सुलोचन है अति सुन्दर I मोर मुकुट सिर तन पीताम्बर II

गल वैजयन्ति माल सुहाई I छवि अनूप भक्तन मन भाई II
श्याम श्याम सुमिरहु दिन राती I शाम दुपहरि अरू परभाती II

श्याम सारथी जिसके रथ के I रोड़े दूर होए उस पथ के II
श्याम भक्त ना कही पर हारा I भीर परि तब श्याम पुकारा II

रसना श्याम नाम रस पी ले I जी ले श्याम नाम के हाले II
संसारी सुख भोग मिलेगा I अंत श्याम सुख योग मिलेगा II

श्याम प्रभु है तन के काले I मन के गोरे भोले भाले II
श्याम संत भक्तन हितकारी I रोग दोष अघ नाशे भारी II

प्रेम सहित जे नाम पुकारा I भक्त लगत श्याम को प्यारा II
खाटू में है मथुरावासी I पारब्रह्म पूरण अविनाशी II

सुधा तान भरि मुरली बजाई I चहु दिशि नाना जहाँ सुनि पाई II
वृद्ध बाल जेते नारी नर I मुग्ध भये सुनि बंशी के स्वर II

दौड़ दौड़ पहुँचे सब जाई I खाटू में जहाँ श्याम कन्हाई II
जिसने श्याम स्वरूप निहारा I भव भय से पाया छुटकारा II

II दोहा II

श्याम सलोने सांवरे, बर्बरीक तनुधार I
इच्छा पूरण भक्त की, करो न लाओ बार II


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