माँ चंद्रघंटा को माता दुर्गा के नौ रूपों में से तीसरे रूप में जाना जाता हैं, माँ चंद्रघंटा की पूजा नवरात्रि के तीसरे दिन की जाती है। माँ चंद्रघंटा का रूप बहुत ज्यादा शांतिमय और सौम्य होता है, किन्तु अगर किसी युद्ध के समय की बात करें तो उनका रूप अत्यंत क्रोधी और उग्र हो जाता है। माता के मस्तक पर चंद्रमा के घंटे का आकार बना हुआ होता है, इसलिए ही इन्हें माँ चंद्रघंटा कहा जाता है। माँ चंद्रघंटा की भक्ति एवं पूजा से भक्तजनों के जीवन में शांति, साहस, और समृद्धि बनी रहती। माता दुर्गा का यह रूप माँ चंद्रघंटा के स्वरूप में अपने आप में बहुत दिव्य, अलोकिक और अद्भुत है। उनका यह रूप शक्ति और सौम्यता को प्रदशित करता है। माता दुर्गा का यह रूप देवतागण और मनुष्य जाति के लिए उनके प्रेम भाव और रक्षा करने के भाव को दिखाता है।
माँ चंद्रघंटा की कथा इस प्रकार है:
प्राचीन समय की बात है की जब माता पार्वती का शुभ विवाह भगवान शिवजी से होने वाला था, तब भगवान शिवजी अपनी बारात के साथ राजा हिमावन के घर के द्वार पर पहुंचे। भगवान शिवजी की बारात में सम्मलित सभी तरह के भूत, प्रेत, राक्षस शामिल थे। उनकी इस तरह की बड़ी ही विचित्र और भयंकर बारात को आता देखकर राजा हिमावन और रानी मैना बहुत ज्यादा चिंतित हो गए। उन्होंने देखा की विवाह के समय भगवान शिवजी का रूप बहुत ही ज्यादा उग्र और भयंकर रूप था। यह सब देखकर माता पार्वती ने अपने चंद्रघंटा रूप को धारण किया, माता पार्वती के इस सौम्य रूप को देखकर भगवान शिवजी का उग्र, भयंकर रूप शांत हो गया और वे सुशोभित हो गए। माँ चंद्रघंटा के इस रूप ने भगवान शिवजी के उग्र स्वभाव को पूरी तरह से शांत कर दिया और उनके विवाह का माहौल बहुत ही सुखद और प्रसन्त्ता से पूर्ण हो गया।
इस कथा से हम सभी को यह शिक्षा मिलती है कि अगर हम संयम और शांति से किसी भी समस्या को हल कर सकते है। माँ चंद्रघंटा की कृपा बनी रहने से भक्तजनों को डर, चिंता, और नकारात्मक शक्तियों से हमेशा के लिए मुक्ति मिलती है।
माँ चंद्रघंटा का स्वरूप कैसा है:
माँ चंद्रघंटा का स्वरूप बहुत अद्भुत और दिव्य है। माँ चंद्रघंटा के मस्तक पर घंटे के आकार का अर्धचंद्र स्थित है, इसी के कारण इन्हें माँ चंद्रघंटा का रूप कहा जाता है। माँ चंद्रघंटा के दस हाथ हैं, जिनमें उन्होंने कमल, धनुष, बाण, कमंडल, तलवार, त्रिशूल, गदा आदि अपने हाथों में धारण करती हैं। माँ चंद्रघंटा की सवारी सिंह हैं, जो की शक्ति और साहस का प्रतीक है। माँ चंद्रघंटा का रंग स्वर्णिम है और माता का मुख हमेशा प्रसन्नता से भरा हुआ दिखाई देता है।
माँ चंद्रघंटा के मंत्र
माँ चंद्रघंटा की पूजा में निम्न मंत्रों का जाप करना अत्यंत फलदायी माना जाता है:
ध्यान मंत्र:
पिण्डजप्रवरारूढ़ा चण्डकोपास्त्रकैर्युता।
प्रसादं तनुते मह्यं चंद्रघण्टेति विश्रुता॥
बीज मंत्र:
ॐ देवी चंद्रघंटायै नमः॥
स्तोत्र मंत्र:
या देवी सर्वभूतेषु माँ चंद्रघंटा रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥
इन सभी मंत्रों का जाप करने से माँ चंद्रघंटा की कृपा प्राप्त होती है और भक्तों के जीवन में सुख, शांति, और साहस का संचार होता है एवं सभी दुःख और विपदा दूर होती है |
माँ चंद्रघंटा की पूजा विधि:
माँ चंद्रघंटा की पूजा नवरात्रि के तीसरे दिन की जाती है। इस दिन माँ की पूजा बहुत ही विधिविधान के साथ की जाती है, जिससे भक्तों को माता का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
सुबह ब्रम्हमुहूर्त में स्नान कर स्वच्छ और निर्मल वस्त्र धारण कर अपने पूजा स्थल को शुद्ध एवं सफाई करें और माँ दुर्गा की प्रतिमा या तस्वीर के सामने बैठें। उसके बाद सफेद या लाल वस्त्र का आसन बिछाकर उस पर बैठें। आसन पर बैठकर एकाग्रचित मन से माँ चंद्रघंटा का ध्यान करें। पूजा करने के स्थान पर एक तांबे या पीतल के कलश को स्थापित करें और कलश में जल, सुपारी, सिक्का, हल्दी, कुमकुम और अक्षत डालें। घी या तिल के तेल का प्रयोग कर दीपक को प्रज्वलित करें। यह दीपक माँ चंद्रघंटा के प्रति श्रद्धा और आस्था को दर्शाता है| अब अपने दोनों हाथों को जोड़कर माँ चंद्रघंटा का आह्वान करें और उन्हें अपनी पूजा में उपस्थित होने के लिए प्रार्थना करें और साथ-साथ ध्यान मंत्र का उच्चारण करें।
माँ को फूल और अक्षत अर्पित करें। माँ चंद्रघंटा को सफेद और लाल फूल प्रिय होते हैं।
पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद, और शक्कर) अर्पित करें और भोग लगाए। प्रसाद में मिठाई, फल, और नारियल को भी शामिल करें।
माँ चंद्रघंटा के मंत्रों का जप करें। “ॐ देवी चंद्रघंटायै नमः” मंत्र का 108 बार जाप करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है।
माँ चंद्रघंटा की आरती करें। आरती के दौरान माँ की स्तुति करें। आरती के बाद प्रसाद को सभी भक्तजनों में वितरित करें और अंत में माँ चंद्रघंटा से अपने द्वारा भूलवश जाने अनजाने में की गई हर गलती के लिए क्षमा याचना करें और उनसे आशीर्वाद की प्रार्थना करें।
माँ चंद्रघंटा की पूजा का महत्व
माँ चंद्रघंटा की पूजा करने से मनुष्य को साहस, आत्मविश्वास, और सहनशीलता की प्राप्ति होती है। माँ का यह रूप उनके भक्तों को भय, चिंता और नकारात्मक शक्तियों से मुक्ति दिलाता है। माँ चंद्रघंटा की कृपा से भक्तों के जीवन में हमेश सुख, शांति, और समृद्धि की प्राप्ति होती है। माँ चंद्रघंटा की पूजा एवं ध्यान करने से मनुष्य का मन और आत्मा शुद्ध होती है और व्यक्ति के अंदर सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है, जिससे उसे जीवन में किसी भी तरह की सभी चुनौतियों का सामना करने में सहायता मिलती है।