शरद पूर्णिमा की कथा (आश्विन मास की पूर्णिमा)

sharad purnima katha

शरद पूर्णिमा की कथा हिंदू धर्म में प्रमुख रूप से महत्वपूर्ण है l इस पूर्णिमा को वर्ष के सबसे पवित्र व प्रमुख अवसरों में माना जाता है। शरद पूर्णिमा आश्विन मास की पूर्णिमा को होती है l इस पूर्णिमा को कोजागरी पूर्णिमा या रास पूर्णिमा भी कहा जाता है l ऐसा बताया जाता है कि ये दिन शरद ऋतु की प्रारंभ का होता है तथा इस रात चांद अपनी पूर्ण शोभा में होता है। धार्मिक मान्यताओ के अनुसार इस दिन चांद अमृतरुपी वर्षा करता है तथा इस अमृत रूपी वर्षा वह ग्रहण करने से स्वास्थ्य तथा समृद्धि प्राप्त होती हैl

शरद पूर्णिमा की पौराणिक कथा : लक्ष्मी मां का वरदान

शरद पूर्णिमा की एक विशेष कथा मां लक्ष्मी से संबंधित हैl कथा के अनुसार प्राचीन समय में एक निर्धन ब्राह्मण परिवार निवास करता था l इस परिवार की स्थिति अत्यंत दयनीय थी तथा वे हमेशा धन की कमी से परेशान रहते थे। ब्राह्मण तथा उसकी पत्नी ने हर तरह से प्रयास किया l लेकिन उनकी दैनिक स्थिति खत्म होने का नाम ही नहीं ले रही थी l एक दिन ब्राह्मण की पत्नी ने माता लक्ष्मी की उपासना करने का निश्चय किया तथा व्रत किया। उसने शरद पूर्णिमा की रात्रि को जागरण करते हुए लक्ष्मी मां की पूजा अर्चना की।
ऐसा कहां जाता है कि शरद पूर्णिमा की रात्रि को मां लक्ष्मी धरती पर आती है तथा जो भक्त मां का जागरण कर रहे होते हैं उन्हें मां लक्ष्मी धन तथा समृद्धि प्रदान करती है l ब्राह्मणी ने भी इस विश्वास को रखते हुए मां लक्ष्मी की पूजा अर्चना की तथा इस प्रकार मां लक्ष्मी उसकी तपस्या से प्रसन्न होकर प्रकट हुईं। मां लक्ष्मी ने ब्राह्मण के परिवार को आशीर्वाद दिया तथा उन्हें धन-धान्य से परिपूर्ण कर दिया l इसी दिन से ब्राह्मण की गरीबी समाप्त हो गई तथा वे सुख-समृद्धि के साथ जीवन बिताने लगे l इस कथा के माध्यम से हमें यह पता चलता है कि शरद पूर्णिमा की रात्रि को जागरण करने से मां लक्ष्मी की कृपा अवश्य ही प्राप्त होती है तथा धन-संपत्ति का आशीर्वाद प्राप्त होता है l

शरद पूर्णिमा तथा राधा-कृष्ण की रास लीला की कथा:

शरद पूर्णिमा की एक प्रमुख कथा ओर है जो कि भगवान श्रीकृष्ण तथा राधा की है। ये कथा भगवान कृष्ण के जीवन के उस भाग से जुड़ी हुई है, जब श्री कृष्णा वृंदावन में गोपियों के साथ में रासलीला करते थे। ऐसा भी बताया जाता है कि शरद पूर्णिमा की रात्रि में ही भगवान कृष्ण ने गोपियों के साथ में महा रास रचाया था इसे रास लीला के नाम से भी जाना जाता है। इस रात्रि को चांद अपनी संपूर्ण कलाओं के साथ में आते हैl शरद पूर्णिमा की रात्रि को प्रेम तथा भक्ति का प्रतीक भी माना जाता है।

कथा के आधार पर भगवान श्रीकृष्ण ने अपनी मुरली की मधुर आवाज से गोपियों की मन को मोह लिया था तथा गोपियों को यमुना के किनारे बुलाया। उस रात्रि में श्री कृष्ण ने गोपियों के साथ नृत्य किया तथा उन्हें प्रेम तथा भक्ति का अनमोल प्रेम दिया। गोपियों ने अपनी समस्त इच्छाओं तथा अहंकार का त्याग कर पूरी तरह से श्री कृष्ण को समर्पित कर दिया । ये रास लीला श्रीकृष्ण की दिव्यता तथा गोपियों की भक्ति का प्रतीक मानी जाती है l
इस कथा से ये प्रतीत होता है कि सच्चे प्रेम तथा भक्ति के राह पर चलने वाला व्यक्ति ही भगवान को प्राप्त कर सकता है। शरद पूर्णिमा की रात्रि को भगवान कृष्ण की ये रास लीला बहुत महत्वपूर्ण मानी जाती है तथा इसे भक्ति का रूप कहा जाता है। शरद पूर्णिमा के दिन कई स्थानों पर प्रमुख रूप से रास लीला का कार्यक्रम होता है l भक्त वहां भगवान कृष्ण तथा राधा के प्रेम को याद करते हैंl

माँ लक्ष्मी का मंत्र जाप:

इस दिन माँ लक्ष्मी के मंत्रो का जाप करने से व्यक्ति के जीवन में सुख सम्पति में वृद्धि होती है, जीवन में सकारात्मक उर्जा का संचार होता है और धन लाभ होता है |

वैभव लक्ष्मी मंत्र:
माँ लक्ष्मी महामंत्र:
शरद पूर्णिमा को माँ लक्ष्मी मंत्र:
चांद का अमृत तथा खीर की महिमा महत्व:

शरद पूर्णिमा की रात्रि को चांद पृथ्वी पर अपनी संपूर्ण कला के साथ अमृत रूपी वर्षा करता है। मान्यता के अनुसार इस रात्रि को चांद की किरणों में प्रमुख प्रकार की ऊर्जा तथा औषधीय गुण विद्यमान होते हैं जोकि मनुष्य के शरीर के लिए बहुत ही लाभकारी होता हैं। पूर्णिमा के दिन प्रमुख रूप से खीर बनाने का प्रचलन है जोकि चांद की किरणों के नीचे रखी जाती है। ऐसा बताया जाता है कि चांद की किरणें इस खीर में अमृत का कार्य करती हैं I
खीर को रात्रि में चांद की रोशनी में रखा जाता है तथा प्रातः इसे प्रसाद के रूप में लिया जाता है Iइस खीर को प्रसाद के रूप में खाने से शरीर में शीतलता आती है , मानसिक रूप से शांति मिलती है तथा अनेकों प्रकार की बीमारियों से छुटकारा मिलता है I इसको वैज्ञानिक दृष्टि से देखा जाए तो शरद पूर्णिमा की रात्रि को चंद्रमा पृथ्वी के बिल्कुल निकट होता है तथा वह अपनी संपूर्ण किरने पृथ्वी पर फैलता हैI

शरद पूर्णिमा तथा औषधीय महत्व इस प्रकार हैं:

ऐसा बताया जाता है कि धार्मिक मान्यताओं के अलावा शरद पूर्णिमा का वैज्ञानिक तथा औषधीय महत्व भी है। प्राचीन आयुर्वेदिक ग्रंथों के आधार पर ऐसा भी बताया जाता है कि शरद पूर्णिमा की रात्रि को चंद्रमा की किरणों में प्रमुख रूप से औषधीय गुण विद्यमान होते हैं Iइन किरणों का प्रभाव मनुष्य के मानसिक तथा शारीरिक स्वास्थ्य पर सकारात्मक होता है। इस दिन चांद की किरणों के संपर्क में आने से शारीरिक संतुलन काफी प्रभावित होता हैं तथा मानसिक तनाव से भी छुटकारा मिलता हैI प्रमुख रूप से इस दिन चांद की शीतलता शरीर को शीतलता प्रदान करती हैI

कोजागरी पूर्णिमा तथा सामाजिक मान्यता:

शरद पूर्णिमा का एक नाम “कोजागरी पूर्णिमा” भी है जिसका यह अर्थ है कौन जाग रहा हैI ऐसा बताया जाता है कि यह नाम एक प्रकार की लोककथा से जुड़ा हुआ है, जिसके अनुसार इस दिन रात्रि को मां लक्ष्मी स्वर्ग से धरती परआती हैं तथा घूमती हुई पूछती हैं, को जागर्तियानी :कौन जाग रहा है। जो भी व्यक्ति इस रात्रि को जागरण कर रहे होते हैं और मां लक्ष्मी की पूजा अर्चना कर रहे होते हैं उन्हें मां लक्ष्मी धन-धान्य का आशीर्वाद देती हैं। इसलिए ऐसा बताया जाता है कि शरद पूर्णिमा की रात्रि को जागरण करना शुभ होता है जिससे की भक्त पर मां लक्ष्मी की कृपा बनी रहे I

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

twelve − twelve =

Scroll to Top